12th हिंदी 100अंक Vvi Subjective Question 2025: हिंदी 100 मार्क्स अति महत्वपूर्ण लघु उत्तरीय प्रश्न
12th हिंदी 100अंक Vvi Subjective Question 2025:
अन्य महत्वपूर्ण व्याख्या पंक्तियां
(1) आत्महत्या एक घृणित अपराध है। यह कायरता का कार्य है
उत्तर :- प्रस्तुत पंक्तियों हमारे पाठ्य पुस्तक दिगंत भाग 2 के पाठ एक लेख और एक पत्र शीर्षक से लिया गया है। प्रस्तुत पंक्तियों में भगत सिंह ने आत्महत्या के विषय में अपने विचार व्यक्त करते हुए इसे करता कहते हैं। क्योंकि कोई भी व्यक्ति जो आत्महत्या करेगा वह थोड़ा दुख कष्ट सहने के चलते करेगा वह अपना समस्त मूल्य एक ही छान में खो देता है। भगत सिंह कहते हैं कि मेरे विश्वास और विचारों वाला व्यक्ति व्यर्थ में ही मरना कदापि सहन नहीं कर सकता। संघर्ष में मरना एक आदर्श मृत्यु है। और करता इसीलिए कहते हैं कि केवल कुछ दुखों से बचने के लिए अपने जीवन को समाप्त कर देते हैं।
(2) नई और न एक ही द्रव की डाली दो प्रतिमाएं हैं।
उत्तर :- प्रस्तुत पंक्तियों हमारे पाठ पुस्तक दिगंत भाग 2 के पाठ अर्धनारीश्वर पाठ से लिया गया है प्रस्तुत पंक्ति में दिनकर का मंतव्य है कि नर नारी पूर्ण रूप से समान है एवं उनमें से एक के गुण दूसरे के दोस्त नहीं हो सकते। दिनकर जी के अनुसार नर और नारी एक ही द्रव की निर्मित है दो मूर्तियां हैं। प्रत्येक न के भीतर एक नारी और प्रत्येक नारी के भीतर एक न छिपा है। नारी और अपने भीतर न को दबाया और पुरुष ने अपने भीतर नारी की अपेक्षाकृत किया इसलिए आज संसार में इतना संघर्ष है |
(3) व्यक्ति से नहीं हमें तो नीतियों से झगड़ा है, सिद्धांत से झगड़ा है, कार्य से झगड़ा है।
उत्तर :- प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ्य पुस्तक दिगंत भाग 2 के संपूर्ण क्रांति से उद्धत संपूर्ण क्रांति आंदोलन के समय क्रांतियां द्वारा यह प्रचारित किया गया कि जयप्रकाश नेहरू जी से विवाद था और अब उनकी पुत्री से विवाद है। उसने पटती नहीं है व्यक्तिगत मामला है। इसी का उत्तर इसमें जयप्रकाश नारायण जी ने दिया है। प्रस्तुत जयप्रकाश कांग्रेस विदेश नीतियों को गलत मानते थे पुलिस स्टाफ इसलिए नेहरू को मत अंतर था। परिणाम भी वही हुआ। सिंह द्वारा भारत पर हमला मैत्री और ओके विश्वास घात था जो नेहरू की विदेश नीतियों की सफलता का प्रमाण था। इसी तरह कांग्रेस के शासन करने के ढंग से उनका विरोध था। क्योंकि इनके कारण महंगाई और भ्रष्टाचार निरंतर बढ़ रहे थे, राजनीतिक स्वार्थ पकड़ हो रही थी और नेशन विकृत की जा रही थी |
(4) और अब घर जाओ तू कह देना उसने कहा था वह मैंने कर दिया ?
उत्तर :- प्रस्तुत पंक्तियों चंद्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी ‘उसने कहा था` की है। यह कथन लेना सिंह का है तथा सूबेदार हजारा सिंह को कहा जा रहा है। इन में उसके पति के माध्यम से पत्नी को संदेश भेजा जा रहा है फुल स्टार सूबेदारनी ने पति हजारा सिंह और पुत्र बुद्ध सिंह की रक्षा करते हुए प्रार्थना की थी , भीख मांगी थी। लाना सिंह ने अपने जान की बाजी लगा कर दोनों की रक्षा की। उसमें अपने वचन का पालन कर सच्चे प्रेम होने का परिणाम दिया। इन में प्रतिदान रहित दान की कोमलता की मैंस्पर्शी व्यंजन है ?
(5) जिस पुरुष में नारीत्व नहीं, अपूर्ण है।
उत्तर :- प्रस्तुत पंक्तियों रामधारी सिंह दिनकर की अर्धनारीश्वर निबंध की है। चंदा दिनकर का कहना है की जीवन की पूर्णता कठोरता कोमलता तप सिलता आदि के संबंध में है। यदि पुरुष में नारी का भाव ना हो तो वह केवल कठोर और अशांति मचाने वाला होता है। अधूरा होता है स्त्री थोड़ा गुण आने पर उन्हें प्रेम दया कोमलता शीतलता आती है। इसलिए नारीत्व विभिन्न पुरुष अधूरा माना जाता है।
(6) सच है , जब तक मनुष्य बोलता नहीं है तब तक उसका गुण दोष प्रकट नहीं होता है।
उत्तर :- यह मुक्ति बालकृष्ण भट्ट के निबंध बातचीत से गृहीत है। इसमें एक सर्वे स्वीकृत और अनुभव सिद्ध तत्व का कथन किया गया है। जब तक आदमी चुप रहता है तब तक पता नहीं लगता है कि उसका स्वभाव कैसा है , उसकी रुचि क्या है और उसका दूसरों के साथ व्यवहार कैसा है। लेकिन जब वह बोलने लगता है तो जाने अनजाने में उनके भीतर और असली रूप व्यक्त हो जाता है। इससे लोगों को पता चल जाता है कि व्यक्ति का स्वभाव कैसा है। स्पष्ट यह उक्ति बतलाती है की भाषा व्यक्ति की उम्र व्यक्ति की अभिव्यक्त है।
(7) चार दिन तक पलक ……….. नसीब ना हो।
उत्तर :- प्रस्तुत पंक्तियों उसने कहा था सिरसा कहानी से ली गई है। इस कहानी के लेखक चंद्र शर्मा गुलेरी जी हैं। लाना सिंह सर कराफल जमादार है। हुआ इंग्लैंड की ओर जर्मन के विरुद्ध युद्ध लड़ने लगा है। लहना सिंह मोर्चे पर लड़ाई का इंतजार करते-करते उगता गया है वह चाहता है कि युद्ध शीघ्र समाप्त हो। इंतजार सेवा रोकना गया और इसी उकताहट में वह यह पंक्तियां कहा है |
लाना सिंह चार दिनों से नहीं सोया है। वाला कटर युद्ध शुरू होने का इंतजार कर रहा है पुलिस ऑफिसर उसका कहना है कि जिस तरह बिना दौर घोड़ा बिखरता है। इस तरह लड़ाई के बिना सैनिक भी बिखर जाता है इसलिए वह जाता है कि उसे आगे बढ़ाने और जर्मन पर हमला करने का आदेश कर दिया जाए पुलिस लाना सिंह के इतना आत्मविश्वास से भरा है कि वह कहता है कि वह अकेले साथ-साथ जर्मन को मार डालेगा।
(8) मुझे यह सोचकर एक अजीब सी राहत मिलती है और मेरी फस्ती हुई सांसे फिर से ठीक हो जाती है कि इस समय पिताजी को कोई दर्द महसूस नहीं होता रहा होगा।
उत्तर :- प्रस्तुत गद्यांश हमारे पुस्तक दिगंत भाग 2 के 3 शिक्षक कहानी का एक अंश है। इस सागर भरीत कहानी के लेखक उदय प्रकाश हैं। इस पंक्ति में लेखक अपने पिताजी के विषय में वर्णन कर रहा है। उसके पिताजी शहर में जाकर विभिन्न स्थान पर वहां के लोगों निवासियों की हिंसा कार्रवाइयों के शिकार हो जाते हैं। उसको फटी कर आती है और वह मरणास्ट हो जाते हैं। उन स्थितियों में एक लेखक एक अजीब सी राहत महसूस करता है तथा वह उसकी फस्ती हुई सांसे समान हो जाते पुलिस लिस्ट वह ऐसा अनुभव करता है कि उसके पिताजी को अब कोई दर्द महसूस नहीं होता हो रहा होगा। हुआ ऐसा इसलिए सोचता है कि अब उसके पिताजी को ऐसा विश्वास होने लगा है कि उसके साथ जो कुछ भी हुआ वह एक सपना था पुलिस स्टाफ उसकी नींद खुलने की ठीक हो जाएगा यह भी आशा व्यक्त करता है कि उसके पिताजी फर्श पर सोते हुए उसे एक उसकी छोटी बहन को देख सकेंगे। लेखक की इन युक्ति में अजीब विरोधाभास है। लेखक के पिताजी बुरी तरह घायल हो गए हैं। उनकी स्थिति चिंताजनक हो गई है। फिर भी वह आशा करता है कि विश्वास हो जायेंगे फुल लैपटॉप उन्होंने कोई दर्द महसूस नहीं होगा और वह लेखक तथा उसकी छोटी बहन को फर्श पर लौटे हुए देखेंगे। यहां पर लेखक के प्रगट आत्मक वर्षा शैली का प्रयोग किया है। संभवत हिंसात्मक वीर द्वारा उसके पिताजी की बेरहमी से टी तथा उसका सख्त घायल होना। उसकी विपनंता। प्रदर्ण तथा ट्रस्ट पूर्ण स्थिति को इंगित करता है। पर गीत आत्मक भाषा द्वारा लेखक ने अपने विचार को स्पष्ट किया है ऐसा अनुभव होता है की। लेखन इन क्रम में आगे चलकर यह कहना है। और जैसे ही वे जाएंगे सब ठीक हो जाएगा या नीचे फर्श पर सोते हुए मैं अपने छोटी बहन दिख जाएगा पूरा स्टाफ लेखक पिताजी एवं परिवार की सूचना आर्थिक दशा का सजीव वर्णन मालूम पड़ता है।
(9) अर्धनारीश्वर निबंध में व्यक्त विचारों का सारांश लिखें। (1000) शब्द में ?
उत्तर :-दिनकर जी जितने बड़े कवि हैं उतने ही अच्छे चिंता जनक और आलोचक भी। उनकी गद्य कृतियां में काव्य की भूमिका संस्कृति के चार अध्याय शुद्ध कविता का खोज आदि के अध्ययन से यह तत्व प्रमाणित है।
प्रस्तुत निबंध दिनकर जी ने इस तथ्य का प्रतिपादन किया है कि संसार में कटुता कोलाहल की वृद्धि का कारण स्त्री पुरुष के जीवन व्यापार को पूरक रूप में देखने के बदले स्वतंत्र रूप में देखने की प्रकृति है। यदि हम संसार की सुख-दुख शांति चाहते हैं तो उसका एक ही मार्ग स्त्री पुरुष के समरूप पूरक बनाना नितांत आवश्यक है।
निबंध का प्रारंभ भारतीय वार्ड में में प्राप्त शिव के अर्धनारीश्वर रूप के विवेचक से होता है। लेखक पक्ष है कि यह कल्पना शिव और पार्वती के बीच पूर्ण संभव दिखाने को निकल गई होगी , किंतु इसकी नई व्यक्तियों यही तब नहीं करती। दिनकर जी इनमें या जोड़ते हैं कि अर्धनारीश्वर की कल्पना में कुछ इन बात का भी संकेत है कि नर नारी के पूर्ण रूप के समान है और उसमें एक के गुण दूसरे के दोष नहीं हो सकते। इस नवीन जूझ को निबंध का आधार बनाकर सभ्यता के इतिहास का अवलोकन करते हुए दिनकर जी बताते हैं कि आदमी नारी और न पुरुष की समान रहेंगे फूल स्टाफ दोनों की हर काम के समान भागीदारी रहेगी अर्थात रामधारी सिंह दिनकर जी का कहना है नारी और न एक ही जैसा होना चाहिए हम पशुओं और पक्षियों के नर्मदा में देखते हैं पुलिस स्टेशन दिनकर जी का सोने की यह नारी की पराधीनता का प्रारंभ कृषि कार्य के अविष्कार युग से हुआ है। इसके चलते न का काम हो गया उत्पादन और नारी का काम संरक्षण। फसलता यहां से जिंदगी दो टुकड़ों में बट गई पोस्ट ऑफिस स्त्री में सिंपैथी गई। उनकी दुनिया छोटी होती गई और उनकी पराधीनता बढ़ती चली गई पुलिस ऑफिस पूरा दिन तक के कारण नई अपने अस्तित्व के लिए पुरुष का पर आश्रित हो चली गई। पुरुष बन गया वृक्ष और नारी बन गई लता जो बिना पीर के सहारे खड़ी होने में असमर्थ बनती चली गई पुलिस स्टाफ सब मिलकर दिनकर के शब्द में पुलिस स्टाफ नारी का सारा मूल्य इस बात पर 18 की पुरुष की आवश्यकता है या नहीं इसके नारी की पद मर्यादा का भी कभी उठाती और कभी गिरती रही। जीवन के प्रति राजमार्ग को अपने वाले यानी प्रति मार्ग लोगों ने नारी को इसलिए महत्व दिया है कि आनंद की खान है मगर ऐसे लोगों ने भी स्त्री की कोमल मोहन भोग्य रूप को ही महत्व दिया। उसके साथ सच्चरी संबंध को नहीं समझा।
सन्यास मार्ग अपनाकर जीवन में यह मुख्य होने वाले निवृत्ति मार्गियों ने नारी की अपेक्षा की उन्हें के लिए आना आवश्यक माना। बुद्ध ने अपने धर्म में नारी को स्थान तो दिया लेकिन यह बात नहीं दिया की नई प्रवेश के कारण उनका धर्म 5000 वर्ष के बदले 500 तक ही निरापद चल सकेगा। दैनिक तो नारी को मुक्ति के सर्वर था अनुप्रयुक्त माना है और कहा कि उन्हें पुरुष यानी जन्म लेने की प्रतीक्षा करनी चाहिए। इसके बाद इस सन्यास ग्रहण करके वह मुक्ति पा सकती है।
साहित्यकारों ने भी इसी स्वर में सवार मिलाया। कबीर ने कहा
नई तो हम हो करी, तब ना किया विचार।
जब नदी तब पड़ी हरि नई महाविकार।
रविंद्र नाथ ने माना की नारी की सार्थकता उसकी मुक्त में है। आलोक की प्रतिमा बनाने में है। कर्मवीर शिक्षा आदि लेकर वह क्या करेगी ? प्रेमचंद ने पुरुष में नारी के गुण को देवता माना मगर नई में पुरुष के गुण को रक्षा उन्होंने योगदान उपन्यास में लिखा है पुरुष जब तक नारी का गुण लेता है तब तक वह देवता बन जाता। किंतु नई जब गन सकती है तब और रक्षा नहीं हो जाती है। दिनकर का मानना है की नई अपने आप को कमल सुंदर और भोग का उत्पादक के जन और गोरखपुर मानती है पुलिस स्टाफ में उनके रूप में अपने प्रशंसा सुनने की अव्यक्त हो गई है। पुरुष उनकी प्रशंसा इसलिए करता है कि वह उसी में मग्न रहे उनके भीतर व्यक्तित्व स्वतंत्रता की दीपशिखा दीप्त ना हो दिनकर के ही शब्द में वह देवों की रंकलंकित मंदिर नैनो से रहने वाले हैं बनी है |
दिनकर की नई द्वारा अपने स्वरूप और शांति को विस्मृति किए बड़ा मानते हैं फुल स्तवन के अनुसार नरनारी एक ही द्रव की डाली दो प्रतिमाएं हैं प्रत्येक अनार के भीतर एक नारी और प्रत्येक नारी के भीतर एक न छिपा रहता पुलिस स्टाफ नई ने अपने भीतर को दबाया और पुरुष ने अपने भीतर नई को दबाया हुआ अपेक्षाकृत किया है पुलिस स्टाफ से आज संसार में इतना संघर्ष और कटुता है। मर्द की कठोरता युद्ध लास्ट में बदलकर कुरूप हो गई है। सारी दुनिया उनके नियंत्रण में और इसकी उछल कूद से अशांतित है। पर इस स्थिति में निकलने का रास्ता यही है कि न अपने भीतर नई को जगाएं और नारी अपने भीतर पुरुष को। अर्धनारीश्वर केवल इस बात का प्रतीक नहीं है की नई और न जब तक अलग है तब तक दोनों अधूरे हैं। बल्कि इस बात का भी पुरुष में नारीत्व की ज्योति जगह हैं यह की प्रत्येक नारी में भी पुरुष का स्पष्ट आवाज हो पुलिस स्टाफ समय की मांग है कि स्त्री पुरुष का सामनवा हो। पूरक संबंध नहीं।
(10) बहुत काली सी जल से लाल केसर से की जैसे धुल गई हो।
उत्तर :- यहां दो तरह का विलंब दिखाई पड़ता है पहले जीवन का विलंब है जिसमें सुबह चौक लीपन के बाद ग्रैनी सिलवट पर मसाला पिसती है और केसर पीसने के बाद सिलवट भूल जाने के बाद उसमें थोड़ी देर तक लाली बनी रहती है। दूसरा यह की समस्त दिगंत पूर्ण किल्ली से भर गया है जो लगता है कि बहुत काली सर जल से लाल केसर से धुल गई हो। आकाश की थोड़ी लालिमा ऐसी लगती है जैसे समय सुविधा की शुरुआत हुई हो |
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