Biology Class 12th VVI Long Question 2025: 12वीं जीव विज्ञान दीर्घउत्तरीय प्रश्न
Biology Class 12th VVI Long Question 2025:
1. नाभिकीय अपशिष्ट क्या है? इसके निपटारा का वर्णन करें। (What is nuclear wastes ? Write a note on disposal of it.)
उत्तर-नाभिकीय संयंत्रों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों को नाभिकीय अपशिष्ट कहते हैं। जिसमें विकिरण कम हों, उसे सीवरेज में छोड़ा जा सकता है जबकि अधिक विकिरण वाले अपशिष्टों का विशेष उपचार, संचय एवं निपटारा किया जाता है। रेडियोन्यूक्लीड्स को अवक्षेपण द्वारा धक्के के रूप में अलग किया जा सकता है। ठोस तथा सांद्रित रेडियोधर्मी अपशिष्टों को विशेष रूप से निर्मित टंकियों में एकत्रित करते हैं जो स्टील व कंक्रीट की बनी होती है। इन टंकियों में अच्छी तरह से भरकर सील कर दिया जाता है तथा पृथ्वी में दवा दिया जाता है। सांद्रित रेडियोधर्मी अपशिष्टों की कुछ मात्रा को सिरेमिक, ग्लास या कंक्रीट जैसे ठोस पदार्थों में बदल देते हैं। जटिल उपचार से उसे अवशोषित नहीं होने वाले या नहीं खुरचे जाने वाले पदार्थों में बदल देते हैं। वैसे
अपशिष्टों का, जिनका अर्द्ध-आयु लंबा हो, उनका बिल्कुल ही निपटारा नहीं हो सकता है।
2. ओजोन अवक्षय क्या है? इसके प्रभाव एवं इसके रोकथाम का वर्णन करें।
(What is dzone depletion? Mention its effect & prevention.)
उत्तर-सूर्य की किरणों में उपलब्ध पराबैंगनी विकिरण जीवों के लिए हानिकारक हैं जिससे हमारी रक्षा ओजोन परत करता है। यह पृथ्वी के वायुमंडल में समताप मंडल (Strato Sphere) स्तर में 16 से 50 किलोमीटर ऊँचाई वाले क्षेत्र में एक रक्षा कवच के रूप में रहता है तथा विकिरणों के प्रभाव से होने वाली बीमारी जैसे- त्वचा कैंसर, मोतियाबिंद आदि से बचाता है। ओजोन का निर्माण आण्विक ऑक्सीजन पर पराबैंगनी किरणों की क्रिया से होता है। आधुनिक जीवन शैली में उपयोगी कुछ रसायन जैसे- फ्लोरोकार्बन (FC), क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC), ओजोन से अभिक्रिया कर आण्विक (0₂) तथा परमाण्विक (0) ऑक्सीजन में विखंडित कर ओजोन स्तर का अवक्षय (depletion) करते हैं। इसे ही ओजोन छिद्र (Ozone hole) कहते हैं। इसे सर्वप्रथम दक्षिण ध्रुव या अंटार्कटिका में वैज्ञानिकों द्वारा अध्ययन किया गया था। ओजोन की इस क्षति को कम करने के लिए विश्व के विभिन्न भागों में यह प्रयास हो रहा है कि CFC का उपयोग पूर्णतः बंद कर दिया जाए। ओजोन अवक्षय को रोकने के लिए सर्वप्रथम 1987 में माण्ट्रियाल (कनाडा) में एक अंतर्राष्ट्रीय संधि पर सहमति बनी जिसे माण्ट्रियाल प्रोटोकॉल कहा जाता है।
3. वायु प्रदूषण, इसके प्रभाव तथा नियंत्रण पर नोट लिखें। (Write a note on Air Pollution, its effect and control.)
उत्तर-वायु-प्रदूषण वायुमंडल में रासायनिक या अन्य पदार्थों के अतिरिक्त जुड़ाव से होता है। इसके अत्यधिक सांद्रण से मानव एवं अन्य जीवों परप्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगता है। ऐसे रासायनिक पदार्थों को वायु प्रदूषक कहते हैं, जैसे- धुआँ, धूलकण, CO, CO₂, SO, इत्यादि जैसे गैसें।
वायु-प्रदूषण के प्रभाव-वायु प्रदूषण मानव के लिए उच्च श्रेणी का हानिकारक अवयव है। इसका कुप्रभाव पेड़-पौधों की वृद्धि तथा विकास सहितप्रा कृतिक संसाधनों पर भी पड़ता है। ये कुप्रभाव वायु प्रदूषक के सांद्रण पर निर्भर करता है।
वायु-प्रदूषण के नियंत्रण-
(a) अनुकूल ईंधन के चुनाव द्वारा
(b) उद्योगों का विस्तार घनी आबादी के बीच न हो।
5. पारिस्थितिक अनुक्रमण का वर्णन करें। (Give an account of Ecological succession.)
उत्तर-एक सुनिश्चित क्षेत्र की प्रजाति संरचना में उचित रूप से आंकलित परिवर्तन को पारिस्थितिक अनुक्रमण कहते हैं। अनुक्रमण के दौरान कुछ प्रजातियाँ एक क्षेत्र में नयी बस्ती बसा लेती हैं और इनकी जनसंख्या अनगिनत हो जाती है, जबकि दूसरी प्रजातियों की जनसंख्या घटती चली जाती है और यहाँ तक कि अदृश्य हो जाती है।
समुदाय का संपूर्ण क्रम, जो दिए हुए क्षेत्र में सफलतापूर्वक परिवर्तित होता है, उसे क्रमक कहते हैं। विशेष परिवर्तनशील समुदायों को क्रमकी चरण या क्रमकी समुदाय कहा जाता है। संसार के निवर्तमान समुदाय धरती पर जीवोत्पत्ति के पश्चात् लाखों वर्षों के अनुक्रमण के फलस्वरूप उत्पन्न हुए हैं। अतः अनुक्रमण एक प्रक्रिया है, जो वहाँ से शुरू होती हैं, जहाँ कोई सजीव नहीं होते हैं। उदाहरण के लिए नग्न पत्थर, या फिर ऐसा क्षेत्र जहाँ के सभी जीव, जो कभी वहाँ रहते थे, किसी प्रकार से नष्ट (लुप्त) हो गए। पहले को प्राथमिक अनुक्रमण कहते हैं, जबकि दूसरे को द्वितीयक अनुक्रमण के रूप में जाना जाता है। प्राथमिक अनुक्रमण पाए जाने वाले क्षेत्रों का अनुक्रम है- तुरंत (नया) ठंढा लावा, नग्न पत्थर, नवविकसित तालाब या जलाशय। द्वितीयक अनुक्रमण ऐसे क्षेत्र में प्रारंभ होता है जहाँ प्राकृतिक जीवीय समुदाय निरस्त हो गए हैं, जैसे कि पूरी तरह से छोड़ी गयी कृषि योग्य भूमि, जले या कटे वन, बाढ़ से प्रभावित जीन आदि।
4. मुर्गीपालन प्रबंधन (Poultry Farm Management) पर नोट लिखें। (Write an essay on Poultry Farm Management.)
उत्तर – मुर्गीपालन प्रबंधन के अंतर्गत Rearing, प्रजनन तथा Poultry birds को ढोया जाना जिससे मांस तथा अंडा प्राप्त हो सके। जैसे-मुर्गी, बत्तक, हंस इत्यादि। 90% से अधिक Poultry Farming मुर्गी एवं घरेलू Fowl पर आधारित है। भारतवर्ष का विश्व में मुर्गीपालन में 5 वाँ स्थान है।
Poultry birds को उचित Poultry Sheds में रखा जाता है जो आवासीय क्षेत्र के बाहर लंबानुमा पूरब से पश्चिम की ओर अवस्थित हो। इसे चूहे, सर्प, बिल्ली, कुत्ता इत्यादि से सुरक्षा का इंतजाम करना पड़ता है। खिड़की एवं वेंटीलेटर को तार की जाली द्वारा ढंक दिया जाता है। मुर्गीधर में बिजली, पानी, आराम करने लायक जगह के साथ-साथ फीडर एवं जल का समुचित प्रबंध होना चाहिए। Poultry birds जो पूर्णतः मांस के लिए तैयार किया जाता है, ब्रॉयलर्स कहलाता है। अंडे उत्पादन के लिए प्रयुक्त मादा fowls को Layers कहते हैं। मादा 22 सप्ताह के होने पर अंडा देना शुरू करती है जो 12 से 15 महीने तक चलते रहता है। जब अंड-उत्पादन uneconomical होता है, Layers को मांस के लिए बेचा जाता है। ब्रॉयलर्स शीघ्र बढ़नेवाला birds है। इसे 6 से 8 सप्ताह तक grow किया जाता है जिससे वजन लगभग 1.2 से 1.5 किलोग्राम के बीच होता है। Poultry birds को Fowl cholera, fowl pox, रानीखेत तथा कैंडीयेसिस जैसी बीमारियों से बचाने के लिए टीका लगाया जाता है।
( 7. ग्रीनहाऊस प्रभाव पर टिप्पणी लिखें। (Write a note on Greenhouse effect.)
उत्तर-‘ग्रीनहाऊस प्रभाव’ शब्द की उत्पत्ति एक ऐसी परिघटना से हुई है जो ‘पौध घर’ (Green house) में हुई है।
ग्रीन हाऊस प्रभाव प्राकृतिक रूप से होनेवाली परिघटना है जिसके कारण पृथ्वी की सतह और वायुमंडल गर्म हो जाता है। यदि ग्रीनहाउस प्रभाव नहीं होता तो आज पृथ्वी की सतह का औसत तापमान 15°C रहने के बजाय ठंडा होकर -18°C रहता। ग्रीनहाउस प्रभाव में पृथ्वी की ओर आनेवाले सौर विकिरण का लगभग एक चौथाई भाग बादलों और गैसों से परावर्तित हो जाता है और दूसरा चौथाई भाग वायुमंडलीय गैसों द्वारा
अवशोषित हो जाता है। लगभग आधा आगत सौर विकिरण पृथ्वी की सतह पर पड़ता है और उसे गर्म करता है तथा कुछ भाग परावर्तित होकर लौट जाता है। पृथ्वी की सतह अंतरिक्ष में अवरक्त विकिरण के रूप में ऊष्मा उत्सर्जित करती है, पर इसका केवल कुछ भाग ही अंतरिक्ष में जाता है तथा अधिकांश भाग वायुमंडलीय गैसों (CO₂, मिथेन, जलवाष्प, नाइट्रस ऑक्साइड एवं क्लोरोफ्लोरो कार्बन) के द्वारा अवशोषित हो जाता है। इन गैसों के अणु ऊष्मा ऊर्जा विकिरित करते हैं और इसका अधिकतर भाग पृथ्वी की सतह पर पुनः आ जाता है और इसे फिर से गर्म करता है। यह चक्र अनेकों बार होता रहता है। इस प्रकार पृथ्वी की सतह और निम्नतर वायुमंडल गर्म होता रहता है। अतः ऊपर वर्णित गैसों को ग्रीनहाउस गैस कहते हैं क्योंकि इसके कारण ही ग्रीन हाउस प्रभाव होता है।