12th History Most Viral Subjective Question 2025: कक्षा 12वीं इतिहास लघु उत्तरीय प्रश्न

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12th History Most Viral Subjective Question 2025: कक्षा 12वीं इतिहास लघु उत्तरीय प्रश्न

(1) इतिहास लेखन में अभिलेखों का महत्व ?

Ans . अभिलेखों से तात्पर्य है पाषाण, धातु या मिट्टी के बर्तनों आदि पर खुदे हुए लेखाभिलेखों से तत्कालीन राजनीतिक, सामाजक, आर्थिक तथा ध ार्मिक जीवन की जानकारी मिलती है, अशोक के अभिलेखों द्वारा उसके धम्म, प्रचार-प्रसाद के उपाय, प्रशासन, मानवीय पहलुओं आदि के विषय में सहज जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इतिहास लेखक में अभिलेख की महत्ता इससे भी स्पष्ट हो जाती है कि मात्र अभिलेखों के ही आधार पर भण्डाकर महोदय ने अशोक का इतिहास लिखने का सफल प्रयत्न किया है।

2 .महात्मा गांधी के आरंभिक जीवन का संक्षिप्त विवरण दें

महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर में हुआ था। वकालत करने के बाद वे 1893 में दक्षिण अफ्रीका चले गये। दो दशक बाद जनवरी 1915 में भारत वापस आये। वहाँ एक वकील के रूप में गये थे और बाद में इस क्षेत्र के भारतीय समुदाय के नेता बन गये। दक्षिण अफ्रीका में ही गाँधी जी ने पहली बार सत्याग्रह के रूप में अहिंसात्मक विरोध की अपनी विशिष्ट तकनीक का इस्तेमाल किया, विभिन्न धर्मों के बीच सौहार्द बढ़ाने का प्रयास किया तथा उच्च जातिय भारतीयों को निम्न जातियों और महिलाओं के प्रति भेदभाव वाले व्यवहार के लिए चेतावनी दी।

(3) हड़प्पा वासियों द्वारा व्यवाहित सिंचाई के साधन का उल्लेख करें

हड़प्पावासियों द्वारा मुख्यतः नहरें, कुएँ और जल संग्रह करने वाले स्थानों को सिंचाई के रूप में प्रयोग में लाया जाता था-

(i) अफगानिस्तान में सौतुगई नामक स्थल से हड़प्पाई नहरों के चिह्न प्राप्त हुए हैं।

(ii) हड़प्पा के लोगों द्वारा सिंचाई के लिए कुंओं का भी इस्तेमाल किया

जाता था।

(iii) गुजरात के धौलावीरा नामक स्थान से तालाब मिला है। इसे कृषि की सिंचाई के लिए पानी देने के लिए तथा जल संग्रह के लिए प्रयोग किया जाता था।

(4) उपनयन से क्या समझते हैं

प्राचीन काल में ‘उपनयन’ जनेऊ धारण करने का एक संस्कार होता था, जो ब्राह्मण क्षत्रिय और वैश्य ही धारण कर सकते थे। शूद्रों को ‘उपनयन’ संस्कार (जनेऊ धारण करने) का कोई अधिकार नहीं था।

(5) विरुपाक्ष मंदिर की दो विशेषताएं लिखें

विरूपाक्ष मंदिर की दो विशेषताएँ इस प्रकार से हैं-

(i) मंडप के स्तम्भों पर अत्यन्त सूक्ष्म अलंकरण हैं, (ii) इस मंदिर में अनेक सभागार एवं गलियारे बने थे।

(6) महाजनपद की विशेषताओं का वर्णन कीजिए

महाजनपद की विशेषताएँ निम्नलिखित है-

(i) महाजनपदों की संख्या 16 थीं जिनमें से लगभग राजतंत्रीय राज्य और 4 गणतंत्रीय राज्य थे।

(ii) महाजनपद को प्रायः लोहे के बढ़ते प्रयोग और सिक्कों के विकास के साथ जोड़ा जाता है।

(iii) ज्यादात्तर महाजनपदों पर राजा का शासन होता था लेकिन् गण और संघ के नाम से प्रसिद्ध राज्यों में अनेक लोगों का समूह-शासन करता था, इस तरह का प्रत्येक व्यक्ति राजा कहलाता था।

(iv) गणराज्यों में भूमि सहित अनेक आर्थिक स्रोतों पर गण के राजा सामूहिक नियंत्रण रखते थे।

(v) प्रत्येक महाजन पर एक राजधानी होती थी, जिन्हें प्रायः किले में घेरा जाता था। किले बंद राजधानियों में रख-रखाव और प्रारंभिक सेनाओं और नौकरशाहों के लिए आर्थिक स्रोत की जरूरत होती थी।

(vi) महाजनपदों में लगभग छठी शताब्दी ई०पू० से ब्राह्मणों ने संस्कृत भाषा में धर्मशास्त्र नामक ग्रंथों की रचनाएँ शुरू की। इनमें शासक सहित अन्य लोगों के लिए नियमों का निर्धारण किया गया और यह उम्मीद की गई कि सभी राज्यों में राजा क्षत्रिय वर्ण के ही होंगे।

(vii) शासकों का काम किसानों, व्यापारिकों और शिल्पकारों से कर तथा भेंट वसूलना माना जाता था। राज्य के विकास एवं विस्तार हेतु सम्पत्ति जुटाने का एक वैध उपाय पड़ोसी राज्यों पर आक्रमण करके धन इकट्ठा करना भी श्रेयकर माना जाता था।

(viii) धीरे-धीरे कुछ राज्यों ने अपनी स्थायी सेनाएँ और नौकरशाही तंत्र तैयार कर लिए। बाकी राज्य अब भी सहायक सेना पर निर्भर थे, जिन्हें प्रायः कृषक वर्ग से नियुक्त किया जाता था।

(7) मौर्य कालीन इतिहास के प्रमुख स्रोत का संक्षिप्त विवरण दें

मौर्यकालीन इतिहास के चार (1) शाहबाजगढ़ी का अभिलेख

(3) प्रयाग स्तम्भलेख

अभिलेखिए स्रोत इस प्रकार से हैं-

(2) गिरनार (जूनागढ़) का अभिलेख

(4) दिल्ली टोपरा के स्तम्भलेख

(8) सातवाहन कौन थे

जिस समय उत्तरी भारत में पहली ई० में नए-नए राज्यों का उदय हो रहा था। उसी समय दक्कन और सुदूर दक्षिण में भी सातवाहनों का उदय हुआ। सातवाहनों का प्रमाण पुराणों में भी मिलता है। उन्होंने कण्वों वंश को परास्त करके दक्षिण भारत में अपनी शासन स्थापित किया। इस वंश का प्रथम शासक सिमुक था

(9) आयन ए अकबरी के विषय में आप क्या जानते हैं

आइन-ए-अकबरी-आइन-ए-अकबरी अबुल फजल के द्वारा लिखा गया फारसी ग्रन्थ है। यह मुगल काल के (अकबर कालीन) खेतिहर समाज, कृषि व्यवस्था, राजस्व व्यवस्था पर विशेष रूप से प्रकाश डालता है।

आइन-ए-अकबरी के चौथे भाग में हिन्दुस्तान की जातियों, ऋतुओं, फसलों और कुदरती सौंदर्य का जिक्र है। साथ ही, राजनीति, साहित्य, धार्मिक जीवन, सूफी संतों की जीवनियों और न्यायप्रणाली पर भी प्रकाश डाला गया है। पाँचवें और अंतिम भाग में अकबर के “शुभ वचन” और लेखक की आत्मकथा दी गई है।

10 मौर्यकालीन इतिहास के प्रमुख स्रोत का संक्षिप्त विवरण दें

मौर्यकालीन इतिहास की जानकारी हेतु हमारे पास साहित्यिक एवं पुरातात्विक दोनों प्रकार का स्रोत है। साहित्यिक स्रोतों में कौटिल्य का अर्थशास्त्र, मेगास्थनीज की इण्डिका विशाखदत्त की मुद्राराक्षस महत्वपूर्ण है तो पुरातात्विक स्रोतों में अशोक के शिलालेख, स्तंभलेख, कुम्हार के अवशेष महत्वपूर्ण एवं विश्वसनीय जानकारी प्रदान करते है।

11. फरीदउद्दीन-गंज-ए-शकर की प्रथम पत्नी हुजैरा के पिता का नाम. बलबनथा। इनकी निम्नलिखित उपलब्धियाँ थीं-

(i) कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में काफी उपलब्धियाँ प्राप्त हुई।

(ii) शिक्षा एवं साहित्य कला के क्षेत्रों में काफी उपलब्धियाँ मिली।

 

 

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