MoonClass 12th Hindi VVI Subjective Question 2025 : 12th Hindi ( अति महत्वपूर्ण लघु एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न )
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Class 12th Hindi VVI Subjective Question 2025 : 12th Hindi ( अति महत्वपूर्ण लघु एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न )
Question :-
(1) जहां आदमी को अपनी जिंदगी मजेदार बनाने के लिए खाने-पीने चलने फिरने आदि की जरूरत है वहां बातचीत भी उनको अत्यंत आवश्यक है
उत्तर :- बालकृष्ण भट्ट लिखित बातचीत निबंध के अंतर्गत है यहां जिंदगी को मजेदार बनाने के लिए बातचीत की आवश्यकता पर बोल दिया गया है
लेखक के अनुसार आदमी की अपनी जिंदगी मजेदार बनाने के लिए खाने-पीने चलने फिरने आदि की जरूरत है वही बातचीत की भी उसको अत्यंत आवश्यकता है जो कुछ मवाद या धुआं जमा रहता है वह बातचीत के जरिए भाप बनकर बाहर निकल पड़ता है सीट हल्का और स्वच्छ हो परम आनंद में मग्न हो जाता है
(2) एक कलाकार के लिए यह निहायत जरूरी है कि उसमें आग हो और वह खुद ठंडा हो
उत्तर :- यह पंक्ति मलयज के लेख हंसते हुए मेरा आलोपण की है इस कथन का अर्थ है कि लेखक को भीतर से जीवन तथा जगत की अनुभूतियों तथा समस्याओं से लड़ने की उसका होनी चाहिए ताकत होनी चाहिए तथा अपनी बात को पूरी शक्ति से कहने की क्षमता होनी चाहिए यह भीतर की दीप्त आज है दूसरे शब्दों में उसे जिंदा दिल और ऊर्जावान होना चाहिए बाहर से ठंड का आशय है कि उसमें संयम और विवेक होना चाहिए बाहर के प्रभाव से प्रस्तुत प्रतिक्रिया या आवेश में नहीं आना चाहिए आज का मतलब है ऊर्जा तथा ठंड और विवेक संयम
(3) प्रत्येक पत्नी अपने पति को बहुत कुछ इस दृष्ट से देखती है जी दृष्ट से लता वृक्ष को देखते हैं ?
उत्तर :- प्रस्तुत पंक्तियां अर्धनारीश्वर शीर्षक निबंध से ली गई है | इसके लेखक रामधारी सिंह दिनकर जी हैं, प्रस्तुत पंक्तियों में निबंधकार या कहना चाहता है कि जिस तरह वृक्ष के अधीन उनकी लेटे फालतू फूलती है |इस तरह पत्नी भी अपने पुरुष के अधीन है वह पुरुष के पराधीन है |इस कारण नारी का अस्तित्व संकट में पड़ गया है,
लता का स्वभाव यह है | कि वह किसी पेड़ के बिना विकसित नहीं हो पाती पेड़ पर चढ़कर वह मनमानी ढंग से फैलने लगती है | यही स्थिति पत्नी की है ,अपने विकास करने के लिए पति का सहारा चाहती है | उसके बिना अपने को असहाय समझती है | यहां लेखक पत्नियों को पति आश्रित स्वभाव की ओर संकेत किया?
(4) भैया मेरे लिए जो कर लेंगे , वह तारों और बातों के करो से भी अच्छे होंगे ना
उत्तर :- मुन्नी सिपाही की मां शीर्षक एकांकी की प्रमुख स्त्री पात्र है। वह प्रेम ममता और स्नेह की मूर्ति है। मुन्नी अपने भाई को जान से अधिक प्यार करती है। उसका भाई ही उनका संकलन है। मुन्नी की सहेलियों की शादी हो चुकी है। उनकी सहेलियों को शादी के अवसर पर कर दी गई है जो और मनोहक था। मुन्नी अपनी मां से कहती है कि भैया लौट लौट कर आएंगे और उनके लिए तारों और बातों से भी अधिकतर सुंदर कर लेंगे। वह भोली निश्चल और साहसी है। इन पंक्तियों में लेखक ने अपनी प्राकृतिक स्वभाव और निश्छल भावना को मूर्त रूप से प्रदान करने की प्रयास किया है।
(5) वह हमारी तरह गरीब आदमी है।
उत्तर :- प्रस्तुत पंक्तियों मोहन राकेश लिखित एकांकी सिपाही की मां से उद्धत है। इन में लेखक ने युद्ध की विधि विश्व का और मानव हृदय के विषाद को मुख वाणी दी है। मानक की मां बिसानी रात में सोई हुई है। सपना देखती है कि मानक घायल होकर उनके पांव पर गिरी पड़ी है। दूसरे सैनिक इनको डालना चाहता है मां मानक को उसकी बातचीत है। मानक अचानक उठ खड़ा हो है और उन्हें सैनिक का काम तमाम कर देना चाहता है। मैन उनके बीच में आ जाती है और मानक से कहती है यह भी हमारी तरह गरीब आदमी है। उसकी मां उनके पीछ पागल हो गई है। इन के घर में बच्चा होने वाला है। यह मर गया तो उनकी फांसी लगाकर मर जाएगी इस उदाहरण में लेखक ने स्पष्ट किया कि दुनिया ही दुनिया की गति को जानती है।
(6) मुझे यह सोचकर एक अजीब सी राहत मिलती है और मेरी हस्ती हुई सांसे फिर से ठीक हो जाती है की इन समय पिताजी को कोई दर्द महसूस नहीं किया होता रहा होगा।
उत्तर :- प्रस्तुत गद्यांश हमारी पुस्तक दिगंत भाग 2 के 3 शीर्षक कहानी का एक अंश है। सारगर्भित कहानी के लेखक उदय प्रकाश है। इन पंक्तियों में लेखक अपने पिताजी के विषय में वर्णन कर रहा है। उनके पिताजी शहर में जाकर विभिन्न स्थानों पर वह वहां के लोगों को निवासियों को हिंसक कार्रवाइयों के शिकार हो जाते हैं। इनको काफी छोटे आती है और वह मरना आसान हो जाते हैं। उन स्थितियों में लेखक एक अजीब सी राहत महसूस करता है तथा उनकी हस्ती हुई सांस सामान्य हो जाती है। वह ऐसा अनुभव करता है कि उनके पिताजी को अब कोई दर्द महसूस नहीं होता रहा होगा। वह ऐसा इसलिए सोचता है कि अब उनके पिताजी को ऐसे विश्वास होने लगा होगा कि उनके साथ जो कुछ हुआ वह एक सपना था | उनकी नींद खोलते ही सब ठीक हो जाएगा पुणे वह भी यह आशा व्यक्त करता है कि उनके पिताजी फर्श पर सोते हुए और उनकी छोटी बहन को भी देख सकेंगे। लेखक की इन पंक्ति में अजीब विरोधाभास है लेखक के पिताजी बुरी तरह से घायल हो गए हैं। उनकी स्थिति में चिंता जनक हो गई है। फिर भी वह आशा करती है कि वह स्वस्थ हो जाएंगे कॉम उनके कोई दर्द महसूस नहीं होगा और वह लेखक तथा उसकी छोटी बहन को फर्श पर लेटे हुए देखेंगे। यहां भी लेखक के प्रतीकात्मक भाषा शैली का प्रयोग है संभवत हिंसात्मक कमा भीड़ द्वारा उनके पिताजी की बेरहमी से टी तथा उनका सख्त घायल होना उनकी विभिन्नता प्रतापना तथा ट्रस्ट पूर्व स्थिति को अंकित करता है प्रगट आत्मक भाषा द्वारा लेखक ने अपने विचार को प्रकट किया है ऐसा अनुभव होता है कि लेखन इन कम आगे चलकर यह कहना कि कॉम और उसके जैसे ही वे जाएंगे सब ठीक हो जाएगा नीचे फर्श पर सोते हुए और छोटी बहन दी जाएंगे लेखक के पिताजी परिवार के सूचना आर्थिक दशा का सजीव वर्णन मालूम पड़ता है।
(7) संपूर्ण क्रांति के निबंध का सारांश लिखें ?
उत्तर :- सम सन 1974 में पटना के गांधी मैदान में छात्र संघर्ष सीमित के कार्यकर्ताओं तथा नागरिकों की अपार वीर को संबोधित करते हुए जयप्रकाश नारायण ने जो भाषण दिया था उसी का एक अंश यह लेख है। तत्कालीन भ्रष्टाचार लिफ्ट कांग्रेसी सरकार के विरुद्ध उम्र जाना क्रॉस के आंदोलन का नेतृत्व करते हुए जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति का नारा दिया था। इस आलेख में चुनाव सुधार , जन संघर्ष समितियां के कारण आदि संबंधित उनके विचार प्रकट हुए हैं
इस आलेख में सबसे पहले उन्होंने नेतृत्व के संबंध में अपना दृष्टिकोण स्पष्ट किया है। उन्होंने छात्र संघर्ष सीमित के सदस्य से कहा था कि वह मार्गदर्शन करेंगे नेतृत्व नहीं। मगर बहुत आगरा करने पर वे इन शार्ट के साथ तैयार हुई कि वह सब की राय लेंगे मगर फैसले हुए करेंगे और उनका मानना होगा। अगर कोई उन्हें डिटेंड करना चाहे तो वह अलग-अलग हो जायेंगे।
जयप्रकाश नारायण जी ने अपने अमेरिका प्रसव का उल्लेख करते हुए कहा कि वहां में घर कम्युनिस्ट था लेकिन भारत आप आने पर आजादी की लड़ाई में लेकिन सिख के कारण सम्मिलित हुआ। लेकिन कथन है कि जो देश गुलाम है वहां की आदमी की लड़ाई कम्युनिस्टों को अवश्य भाग लेना चाहिए। भले ही उसका नेतृत्व युवा क्लास के हाथ में हो।
उन्होंने तात्कालिक परिस्थितियों का उल्लेख करते हुए कहा कि समिति प्रदर्शन के लिए छात्र हजारों लोग को पूर्ण राज्य से आ रहे हैं और सारे कांग्रेसी मुझे यह सबक सिखाते हैं की छात्रा के आंदोलन के लोकतंत्र पर खतरा उत्पन्न हो गया है। आप इसमें भाग ना ले। हुए बहुत कुरूप होकर कहते हैं कि हमें लोकतंत्र सिखाएंगे। इन लोगों को शर्म नहीं आती लोकतंत्र की बात करते हुए क्या लोकतंत्र में जनता को शक्तिपुर प्रदर्शन या सभा करने का अधिकार नहीं है। जनता के प्रतिनिधि होकर किस हैसियत से ले लोग जनता को रोकता है। सर में से डूब जाना चाहिए इन लोगों को। उनकी दृष्टि अगर कोई डेमोक्रेसी का दुश्मन है तो वह लोग जनता की शांति के कार्यक्रम में बाधा डालते हैं उनकी गतिविधियां करते हैं , उन पर लाठी चार्ज करते हैं , और साथी गोलियां चलाते हैं |
कुछ लोगों ने जयप्रकाश जी को बताया कि कांग्रेस वाले उनके विरोध को नेहरू तथा इंदिरा को व्यक्तिगत विरोध के रूप में प्रचलित कर रहे हैं। इन को स्पष्ट करती है वह उन्होंने दो का बड़प्पन मानते हैं कि उनकी गलतियां नीतियों के जयप्रकाश द्वारा की गई आलोचना कवि उनके व्यक्तिगत मामला नहीं मानता। इंदिरा जो मतभेद नीतियों को लेकर है। वे इन बात को लेकर ज्यादा तीखे हैं राजनीति तथा प्रशासन में घर भ्रष्टाचार है।
जयप्रकाश की दृष्टि में भ्रष्टाचार का मूल कारण चुनाव का चर्चा है राजनीतिक पार्टियों चोरों को काबिल बजिया से चंदा के नाम पर धन लेती है और चुनाव में बेशुमार खर्च होता है ऐसी स्थिति में गरीबों को योग्य ना चुना पड़े हैं और जीत पाए हैं। बॉब पैसा बहुत खर्च करके जीतने वाले लोगों को भ्रष्टाचार प्रसिद्ध देते हैं आज स्थिति यह है कि हर स्थल पर घूस का व्यापार है और उनके बिना जनता को साथ अन्याय किया किया जा रहा है |
इसी क्रम में जयप्रकाश इन बात का उल्लेख करते हैं कि मेरे में बुद्धिजीवियों ने यह भ्रम फैलाया है की दाल भी लोकतंत्र की स्थापना चाहता हूं। या सूर्योदय का सिद्धांत है कि है। फिर भी केवल कम्युनिटी भाइयों का भ्रमण दूर करने के लिए बनाना चाहता हूं लेनिन बाद और मार्क्सवाद दोनों के अनुसार दलवी लोकतंत्र साम्यवाद के मूल उद्देश्य में है। जैसे रसायणवाद बढ़ेगा राज्य का महत्व चिन्ह होता जाएगा और राजविहीन समाज बनेगा , जो सच्चे लोकतंत्र का सूचक होगा |
वर्तमान आंदोलन के विश्व में उनका दृष्टि कौन है कि यह केवल विधानसभा के विघटन के लिए नहीं है इन अधिकार के लिए लड़ाई की जनता को यदि मतदान के प्रतिनिधि चुनाव का अधिकार हो तो अपने आयोग भ्रष्ट और जान कांच के विरुद्ध काम करने वाली प्रतिनिधि के विधानसभा संसद में लौटने का अधिकार हो। चुनाव के अवसर हटाकर खारिज करना अधिकार नहीं है।
इस प्रसंग में जयप्रकाश ने छात्र संघ समिति के सदस्य के कर्तव्य भी उल्लेख किया है उनका कहना है कि संघर्ष समितियां को केवल आंदोलन के प्रतिनिधित्व वापसी के लिए अधिकार की लड़ाई तक सीमित ना रहे। उनका काम या अन्य और नीतियों के विरुद्ध संघर्ष करना , सरकार के कामकाज पर नजर रखना और जनता को अन्य से बचाना तथा उनके उनका हक दिलाना भी उनका काम है यह निर्दलीय संघर्ष समितियां स्थानीय रूप से कायम रहेगी और केवल लोकतांत्रिक के लिए नहीं बल्कि सामाजिक आर्थिक और नैतिक क्रांति के लिए अथवा संपूर्ण क्रांति के लिए महत्वपूर्ण कार्य करेगी।
(8) कला के लिए सिद्धांत क्या है
उत्तर :- यूरोप के व्यक्तिवाद का प्रचलन बढ़ने पर साहित्य और सामाजिकता का तिरस्कार होता चला गया। व्यक्ति प्रधान मुक्त की अपनी दृष्टि थी। उसमें या तो समझ नहीं था या समाज के प्रति विद्रोह था। ऐसी ही कविताओं के एचडी ब्राइडल जैसे आलोचनकों ने आठ पार्ट आफ सिख कहा। इसी का अनुवाद है कि कल के लिए
(9) मालती के घर का आवरण कैसा था ?
उत्तर :- मालती के घर का वातावरण नीरज, उबाऊ और यांत्रिक है। उनमें कहीं भी जगती , प्रफुलता या प्रसन्नता नहीं है। मल्टी में युवती वाला रस नहीं है। वह अपने बच्चों साथ भी यंत्र तत्र व्यवहार करती है शायद उसे पति से प्रेम नहीं है। वह अपने परिवेश तथा जीवन पूरी तरह असंतुष्ट है।
(10) पुरुष जब तक नारी के गुण लेता है तब वह क्या बन जाता है ?
उत्तर :- रविंद्र मानते हैं – नारी की सार्थकता मोहकथा में है | वह कृति , बल तथा शिक्षा लेकर क्या करेगी? प्रसाद स्पष्ट करते हैं – नारी तुम केवल श्रद्धा हो। जीवन के समतव्य में पीयूष स्रोत बनाकर बहू। प्रेमचंद कहते हैं कि पुरुष के नारी का गुण आने से देवता बनता है मगर नारी पुरुष का गुण देवता लेता है तब वह रक्ष्नए नहीं बन जाती है।